मुद्रा किसे कहते है ?

   मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे उसे मुद्रा कहते हैं। 

मुद्रा के कार्य क्या है ?

1 ) मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में कार्य करती हैं। 

2 ) मुद्रा को संचय के रूप में  कार्य करती हैं। 

3 ) मुद्रा का प्रयोग भविष्य के भुगतानों के लिए किया हैं। 

मुद्रा के कार्य क्या है ?

वस्तु विनिमय प्रणाली उसे प्रणाली को कहा जाता है जिसमें वस्तु का विनिमय वस्तु से किया जाता है। 

वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियाँ 

 1) आवश्यकताओं का दोहरा संयोग 

 आवश्यकताओं का दोहरा संयोग से अभिप्राय यह है की दो व्यकतियों को ऐसी दो वस्तुओं की आवश्यकता होती है जिससे वे अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए विनिमय करने के लिए तैयार होते हैं।

2) वस्तु विभाजन में कठनाई

सभी वस्तु विभाजन नहीं होती हैं ,कुछ वस्तु ऐसे भी होते होती हैं जिन का विभाजन नहीं किया जा सकता है क्योंकि उनका विभाजन करने पर उनकी उपयोगिता खत्म हो जाता है।

3) भावी भुगतान में  कठनाई

  वस्तु विनिमय प्रणाली में स्थगित भुगतान करना या भविष्य करना संभव नहीं था। 

 4 ) क्रय शक्ति के भंडार की कमी

वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तु  को  इकट्ठा रखकर उनका संचय करना संभव नहीं था क्योंकि उससे वस्तुओं के नष्ट होने का खतरा रहता था और बहुत जगह भी लेती थी।

मुद्रा के कितने प्रकार होते है ?

मुद्रा के चार प्रकार के होते हैं।

i) आदेश मुद्रा

आदेश मुद्रा से अभिप्राय उस  मुद्रा से है जो सरकार के आदेश से जारी की जाती हैं। 

  ii) न्यास  मुद्रा

न्यास  मुद्रा वह मुद्रा होती है जो विनिमय के माध्यम के रूप में लिया जाता है क्योंकि यह प्राप्तकर्ता तथा अदरकर्ता के बिच विश्वास पर आधरित होता है।

iii ) पूर्ण-काय मुद्रा

पूर्ण-काय मुद्रा से अभिप्राय उस मुद्रा से है जो सिक्कों के रूप में होती है। जब यह मुद्रा जारी की जाती है तो इनका वस्तु मूल्य मौद्रिक मूल्य के बराबर होता है।

iv ) साख मुद्रा

साख मुद्रा अभिप्राय उस  मुद्रा से है जिसका मौद्रिक मूल्य वस्तु मूल्य से अधिक होता है।

मुद्रा की पूर्ति

मुद्रा की पूर्ति से अभिप्राय एक निशिचत समय पर देश में लोगों के पास कुल मुद्रा के स्टॉक से है।

•यह ध्यान देना आवश्यक है की मुद्रा की पूर्ति में न तो (i ) सरकार के पास के स्टॉक और (ii) न ही देश की समस्त बैंकिंग व्यवस्था के पास मुद्रा के स्टॉक को सम्मिलित किया जाता है।

मुद्रा की पूर्ति के माप

भारत में मुद्रा की पूर्ति के चार वैकलिपक माप हैं जैसे M1,M2,M3 और M4। इनमें से केवल M1 माप की चर्चा करेंगे।

मुद्रा की पूर्ति का M1 माप

M1 =जनता के पास करेंसी (C)+माँग जमाएँ (DD)+रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाएँ (OD)

C =इससे अभिप्राय जनता के पास करेंसी से हे। इसमें सिक्के तथा कागजी नोट होते हैं।

DD=इससे अभिप्राय जनता की माँग जमाओं से है जो वाणिज्यिक बैंक में जमा हैं।इन जमाओं को माँगने पर चेकों से या तो निकलवाया जाता है।

OD=ये अन्य जमाएँ हैं ; इसमें निम्नलिखित जमाएँ सम्मिलित होती हैं ;

i ) RBI के पास सार्वजानिक वित्तीय संस्थाओं ;जैसे -NABARD(राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ) की माँग जमाएँ।

ii ) RBI के पास विदेशी केंद्रीय बैंकों तथा विदेशी सरकारों की माँग जमाएँ।

iii) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं जैसे -IMFतथा विश्व बैंक की माँग जमाएँ।