उत्पादन फलन और एक कारक के प्रतिफल|Production function and returns to a factor


उत्पादन फलन से क्या अभिप्राय है ?

भौतिक आगतों (जैसे पूँजी की 20 इकाइयाँ तथा श्रम की 15 इकाइयाँ) तथा भौतिक उत्पादन (उत्पादित वस्तु  की 200 इकाइयाँ) के  बीच यह संबंध उत्पादन फलन कहलाता है। 

उत्पादन फलन के कितने प्रकार होते है ?

उत्पादन फलन के दो प्रकार होते है:

i)अल्पकालीन उत्पादन फलन 

ii)दीर्घकालिक उत्पादन फलन 

 

      अल्पकालीन उत्पादन फलन 

यह वह उत्पादन फलन है जिसमें उत्पादन के स्तर मैं परिवर्तन होने के साथ कारक अनुपात में परिवर्तन होता है।


  दीर्घकालिक उत्पादन फलन 

यह वह उत्पादन फलन है जिसमें उत्पादन के स्तर मैं परिवर्तन होने के साथ कारक अनुपात में परिवर्तन नहीं होता है। 

स्थिर तथा परिवर्ती कारक 

स्थिर कारक : स्थिर कारक वे कारक हैं जिनका प्रयोग उत्पादन में परिवर्तन होने से परिवर्तित नहीं होता है।

जैसे: मशीन

परिवर्ती कारक : परिवर्ती कारक वे कारक हैं जिनका प्रयोग उत्पादन में परिवर्तन होने से परिवर्तित होता है। 

जैसे: श्रम 


    कुल उत्पाद

कुल  उत्पाद उत्पादन प्रक्रिया में प्रयोग हुए स्थिर कारकों की कुछ समान मात्रा के साथ एक परिवर्ती कारक की सभी इकाइयों द्वारा उत्पादित का कुल जोड़ है। 




सीमांत उत्पाद

परिवर्ती कारक की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने पर कुल भौतिक उत्पाद में जो परिवर्तन होता है उसे सीमांत उत्पाद कहते हैं।



   औसत लागत

प्रति इकाई परिवर्ती कारक के उत्पादन को औसत लागत हैं।



(i) कुल उत्पाद और सीमांत उत्पाद तथा (ii) औसत उत्पाद और सीमांत उत्पाद में संबंध

तालिका: कुल उत्पाद,सीमांत उत्पाद,औसत उत्पाद



                                                                               चित्र 

                                               



उत्पाद (TP)तथा सीमांत उत्पाद (MP)के बीच संबंध

i) जब कुल उत्पाद बढ़ती हुई दर से बढ़ता है तो सीमांत उत्पाद अधिकतम स्तर तक बढ़ता है।

ii) जब कुल उत्पाद घटती हुई दर से बढ़ता है तो सीमांत उत्पाद घटता है लेकिन धनात्मक होता है।

iii) जब कुल उत्पाद अधिक होता है तो सीमांत उत्पाद शुन्य है होता है। 

iv) जब कुल उत्पाद घटने लगता है तो सीमांत उत्पाद ऋणात्मक आत्मक हो जाता है। 

औसत उत्पाद तथा सीमांत उत्पाद के बीच संबंध

i) जब सीमांत उत्पाद, औसत उत्पादन से अधिक ( MP>AP) होता है जब औसत उत्पाद बढ़ता है।

ii) जब सीमांत उत्पाद, औसत उत्पाद से कम (MP<AP) होता है तब औसत उत्पाद घटता है।

iii) जब औसत उत्पाद तथा सीमांत उत्पाद दोनों बराबर(AP=MP होता है तब औसत उत्पाद अधिकतम होता है।

     परिवर्ती अनुपात का नियम

परिवर्ती अनुपात का नियम बताता है कि स्थिर कारक के साथ परिवर्ती कारक कि अधिक इकाइयों को जैसे-जैसे प्रयोग में लाया जाता है तब परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पाद आरंभ में बढ़ता है परंतु बाद में एक स्थिति ऐसे अवश्य आती है जब परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पाद गिरना शुरू हो जाता है ।


तालिका : कुल उत्पाद और सीमांत उत्पाद


      चित्र 



• अवस्था I TP वक्र पर O से K के बीच है। इस खंड में MP बढ़ रहा है और TP बढ़ती दर पर बढ़ रहा है।

• अवस्था II K और T के बीच है। इस खंड में MP घट रहा है और TP घटती दर बढ़ रहा है। 

• अवस्था III बिंदु T के बाद है। अब TP गिरना शुरू हो जाता है क्योंकि MP ऋणात्मक है।